5G रेडिएशन(Radiation) सें क्या होता है?
5G Radiation se Kya hota hai?
5जी रेडिएशन के कारण कुछ दिनों से किसी भी चीज को छूने पर करंट महसूस होने जैसी बातें सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में हैं.
कुछ इसी तरह सोशल मीडिया पर प्रथम न्यूज़ नाम के एक अख़बार की कटिंग वायरल है. वायरल कटिंग में छपी ख़बर की हेडिंग है-
‘कुछ दिनों से हर चीज छूने से महसूस हो रहा करंट, 5जी रेडियेशन के कारण इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन की श्रृंखला में हो रहा उतार-चढ़ाव’
5G रेडियेशन का मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में सर्च करने पर हमें विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO की वेबसाइट पर इससे जुड़ी जानकारी मिली. WHO की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक़, अभी तक हुए रिसर्च में 5G रेडियेशन के कारण स्वास्थ्य पर किसी प्रकार के दुष्परिणाम की कोई बात सामने नहीं आई है. हालांकि अभी तक 5G से जुड़ी रिसर्च कम ही हुई है. रेडियेशन के कारण पैदा होने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी से हमारे शरीर के टिशू गर्म जरूर होते हैं. लेकिन इससे हमारे शरीर के तापमान पर बहुत ही कम असर होता है. कुल मिलाकर हमारे शरीर पर इसका असर न के बराबर होता है!
इसके बाद दीलल्लनटॉप ने इस रेडियेशन के कारण करंट महसूस होने के दावे को समझने के लिए IIT दिल्ली के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर अभिषेक दीक्षित से बात की. उन्होंने ‘दी लल्लनटॉप’ को बताया-
“कोई भी रेडियेशन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव के कारण पैदा होती है, उसका कोई पोटेंशियल नहीं होता, इसलिए किसी भी वेव से करंट लगने की आशंका नहीं होती. 5G रेडियेशन के कारण करंट लगने की बात सिर्फ़ एक अफ़वाह हो सकती है. रेडियेशन का कोई शॉर्ट टर्म नुकसान बॉडी को नहीं होता है. करंट हमारे शरीर में तभी लग सकता है जब हम किसी हायर पोटेंशियल वाली चीज को छूते हैं. डेली लाइफ में चीजें छूने से महसूस होने वाले करंट का कोई नुकसान नहीं है. जैसे हमें कभी कंघी या कुर्सी को छूते हैं तो हमें कभी-कभी हल्का करंट महसूस होता है. इसका पोटेंशियल कम होता है, इसलिए इससे हमें नुकसान नहीं होता. लेकिन अगर आप इलेक्ट्रिसिटी वायर को छूएंगे तो आपके लिए वो ख़तरनाक हो सकता है.”
भारत में अभी 5G इंटरनेट सेवाएं शुरू नहीं हुई है. इंडिया टुडे की 9 फरवरी 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक़, देश में 5G इंटरनेट सेवाएं 2022 की शुरुआत में शुरू होने की संभावना है. शुरुआत में कुछ ख़ास यूज़र्स ही 5G सेवाओं का लाभ उठा सकेंगे.
किसी भी चीज को छूने पर कभी-कभी करंट लगने की घटना सामान्य है. हम सबके साथ ऐसा कभी न कभी होता है. आइए, इसके पीछे की साइंस को समझने की कोशिश करते हैं.
साइंस के नज़रिए से बात करें तो ब्रम्हांड में मौजूद सभी चीजें एटम (परमाणु) से बनी होती हैं. हर एटम में इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होते हैं. इलेक्ट्रॉन्स में निगेटिव चार्ज होता है. प्रोटॉन्स पोजिटिवली चार्ज्ड होते हैं. जबकि न्यूट्रॉन्स पर कोई चार्ज नहीं होता. एक एटम में इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन की संख्या बराबर होने पर वो स्थिर होता है. जैसे ही इनकी संख्या कम या ज़्यादा होती है एटम की स्थिरता गड़बड़ा जाती है.
सामान्य तौर पर किसी भी तरह के घर्षण के कारण हमारे शरीर में इलेक्ट्रॉन की संख्या बढ़ जाती है और दूसरे वस्तु में कम हो जाती है. इसके बाद जब हम किसी चीज को छूते हैं तो हमारे शरीर से एक्स्ट्रा इलेक्ट्रॉन बाहर निकलते हैं. तब हमें करंट महसूस होता है. साइंस में इस करंट को स्टैटिक करंट कहते हैं. सर्दियों के मौसम में स्टैटिक करंट का ज़्यादा असर देखने को मिलता है. क्योंकि सर्दियों में हवा में नमी कम होती है. इस कारण इलेक्ट्रॉन आसानी से हमारे स्कीन की सतह पर विकसित हो जाते हैं. जबकि गर्मियों में नमी के कारण इलेक्ट्रॉन्स समाप्त हो जाते हैं. इसलिए हमें करंट का अनुभव कम होता है.
यूट्यूब पर उपलब्ध इस एनिमेटेड वीडियो आप किसी चीज को छूने पर लगने वाले करंट को आसानी से समझ सकते हैं.
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